पावर फैक्टर और इसका महत्व (Power Factor and Its Importance)
पावर फैक्टर (Power Factor) किसी भी इलेक्ट्रिकल सिस्टम की दक्षता (Efficiency) को मापने का एक पैमाना है।
यह उस विद्युत ऊर्जा का अनुपात (ratio) है, जिसे उपयोगी कार्य (useful work) में परिवर्तित किया जाता है।

- रियल पावर (kW): वह पावर जो वर्क करने में उपयोग होती है।
- एपरेंट पावर (kVA): कुल पावर, जो सिस्टम में सप्लाई की जाती है।
- पावर फैक्टर का मान:
- 1 के करीब (Unity) होना चाहिए।
- 1 से कम होने पर सिस्टम में ऊर्जा का नुकसान (energy loss) होता है।
पावर फैक्टर सुधार क्यों जरूरी है?
1. ऊर्जा दक्षता (Energy Efficiency):
कम पावर फैक्टर का मतलब है कि सिस्टम ज्यादा एपरेंट पावर खींच रहा है, जो कि ऊर्जा की बर्बादी को दर्शाता है। सुधार करने से दक्षता बढ़ती है।
2. ट्रांसमिशन लाइन पर लोड घटाना:
लो पावर फैक्टर की वजह से लाइन में ज्यादा करंट फ्लो करता है, जिससे ट्रांसमिशन सिस्टम पर लोड बढ़ता है। इसे सुधारने से लाइन की क्षमता बढ़ाई जा सकती है।
3. बिजली बिल में कमी:
कम पावर फैक्टर पर बिजली कंपनियां पेनल्टी लगाती हैं। इसे सुधारने से ये अतिरिक्त शुल्क बच सकते हैं।
4. उपकरणों की लंबी उम्र:
लो पावर फैक्टर से मोटर और ट्रांसफॉर्मर पर अतिरिक्त गर्मी उत्पन्न होती है, जिससे उपकरण जल्दी खराब हो सकते हैं।
5. ग्रिड स्टेबिलिटी:
सुधार से ग्रिड स्थिर (stable) रहता है और ब्लैकआउट का खतरा कम होता है।
इंडक्टिव और कैपेसिटिव लोड्स में पावर फैक्टर का प्रभाव
- इंडक्टिव लोड (Inductive Load):
- जैसे मोटर, ट्रांसफॉर्मर, और इंडक्टर्स।
- ये लोड पावर फैक्टर को Lagging बनाते हैं, यानी करंट, वोल्टेज से पीछे चलता है।
- इससे पावर फैक्टर घटता है।
- हाई करंट ड्रॉ।
- अतिरिक्त गर्मी और ऊर्जा की बर्बादी।
- अधिक पावर सप्लाई की आवश्यकता।
- कैपेसिटिव लोड (Capacitive Load):
- जैसे कैपेसिटर बैंक और कैपेसिटिव सर्किट।
- ये लोड पावर फैक्टर को Leading बनाते हैं, यानी करंट, वोल्टेज से आगे चलता है।
- इन्हें इंडक्टिव लोड के प्रभाव को संतुलित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
- पावर फैक्टर सुधार में मदद।
- एपरेंट पावर को रियल पावर के करीब लाना।
पावर फैक्टर सुधार कैसे करें?
- कैपेसिटर बैंक का उपयोग:
- कैपेसिटर, इंडक्टिव लोड के Lagging Power Factor को संतुलित करता है।
- पावर फैक्टर करेक्शन डिवाइस:
- जैसे ऑटोमैटिक पावर फैक्टर कंट्रोलर (APFC)।
- लोड बैलेंसिंग:
- लोड को समान रूप से वितरित करना।
- अनुकूल उपकरण का चयन:
- हाई एफिशिएंसी वाले उपकरणों का उपयोग करें।
- पावर फैक्टर सुधारना जरूरी है, क्योंकि यह ऊर्जा दक्षता बढ़ाता है, बिजली बिल घटाता है, और उपकरणों को लंबे समय तक चलने में मदद करता है।
- कैपेसिटर का सही उपयोग और आधुनिक तकनीकों को अपनाकर हम अपने सिस्टम का पावर फैक्टर आसानी से सुधार सकते हैं।
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