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ट्रांसफार्मर एक विद्युत उपकरण है जिसका उपयोग वोल्टेज को बढ़ाने या घटाने के लिए किया जाता है। यह मुख्य रूप से विद्युत ऊर्जा को एक परिपथ से दूसरे परिपथ में स्थानांतरित करने में सहायता करता है, बिना आवृत्ति को बदले। ट्रांसफार्मर का उपयोग विद्युत वितरण प्रणाली, पावर ग्रिड, और विभिन्न उपकरणों में होता है।

ट्रांसफार्मर के प्रमुख घटक:

  1. कोर (Core): यह लोहे या फेराइट का बना होता है और चुंबकीय फ्लक्स का रास्ता प्रदान करता है।
  2. प्राथमिक कुंडली (Primary Winding): यह उस कुंडली को दर्शाता है जिसमें विद्युत ऊर्जा इनपुट होती है।
  3. द्वितीयक कुंडली (Secondary Winding): यह उस कुंडली को दर्शाता है जिससे विद्युत ऊर्जा आउटपुट होती है।
  4. इंसुलेशन (Insulation): यह कुंडलियों और कोर के बीच विद्युत अलगाव प्रदान करता है।

ट्रांसफार्मर का कार्य सिद्धांत:

मुख्य सिद्धांत के चरण:

1. चुंबकीय फ्लक्स का निर्माण:

2. चुंबकीय प्रेरण:

3. वोल्टेज का स्थानांतरण:


आवश्यकताएँ:

  1. परिवर्ती धारा (AC):
    • ट्रांसफार्मर केवल AC पर काम करता है क्योंकि परिवर्ती चुंबकीय फ्लक्स आवश्यक है।
  2. कोर सामग्री:
    • आमतौर पर लोहे या फेराइट का उपयोग, जो फ्लक्स को कुशलता से प्रवाहित कर सके।

उदाहरण:

यदि प्राथमिक वाइंडिंग में 100 घुमाव और द्वितीयक वाइंडिंग में 200 घुमाव हैं, तो द्वितीयक वोल्टेज प्राथमिक वोल्टेज से दोगुना होगा।

ट्रांसफार्मर का यह कार्य सिद्धांत इसे बिजली वितरण प्रणाली में अत्यंत प्रभावी और उपयोगी बनाता है।

ट्रांसफार्मर कई प्रकार के होते हैं, जिन्हें उनके उपयोग, कार्यक्षमता और निर्माण के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। निम्नलिखित ट्रांसफार्मर के मुख्य प्रकार हैं:


1. वोल्टेज के आधार पर:

(a) स्टेप-अप ट्रांसफार्मर (Step-Up Transformer):

(b) स्टेप-डाउन ट्रांसफार्मर (Step-Down Transformer):


2. उपयोग के आधार पर:

(a) पावर ट्रांसफार्मर (Power Transformer):

(b) डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर (Distribution Transformer):

(c) इंस्ट्रूमेंट ट्रांसफार्मर (Instrument Transformer):


3. संरचना के आधार पर:

(a) ऑयल-इमर्स्ड ट्रांसफार्मर (Oil-Immersed Transformer):

(b) ड्राई-टाइप ट्रांसफार्मर (Dry-Type Transformer):


4. चरण के आधार पर:

(a) सिंगल-फेज ट्रांसफार्मर (Single-Phase Transformer):

(b) थ्री-फेज ट्रांसफार्मर (Three-Phase Transformer):


5. निर्माण के आधार पर:

(a) कोर-टाइप ट्रांसफार्मर (Core-Type Transformer):

(b) शेल-टाइप ट्रांसफार्मर (Shell-Type Transformer):


6. विशेष उपयोग के आधार पर:

(a) ऑटो-ट्रांसफार्मर (Auto-Transformer):

(b) आइसोलेशन ट्रांसफार्मर (Isolation Transformer):

(c) फेज-शिफ्टिंग ट्रांसफार्मर (Phase-Shifting Transformer):

(d) इम्पल्स ट्रांसफार्मर (Impulse Transformer):


7. फ्रीक्वेंसी के आधार पर:

(a) हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रांसफार्मर:

(b) लो-फ्रीक्वेंसी ट्रांसफार्मर:


8. विशेष डिजाइन के आधार पर:

(a) फर्नेस ट्रांसफार्मर (Furnace Transformer):

(b) रेक्टिफायर ट्रांसफार्मर (Rectifier Transformer):

(c) वीआर ट्रांसफार्मर (Variable Ratio Transformer):

उपयोग:

ट्रांसफार्मर का उपयोग विद्युत प्रणाली के विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है। यह बिजली वितरण, पावर ग्रिड और उद्योगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नीचे ट्रांसफार्मर के प्रमुख उपयोग दिए गए हैं:


1. विद्युत वितरण और ट्रांसमिशन में:


2. उद्योगों में:


3. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में:


4. मापन और सुरक्षा में:


5. पावर ग्रिड में:


6. रेलवे में:


7. चिकित्सा उपकरणों में:


8. नवीकरणीय ऊर्जा में:


9. संचार प्रणाली में:


10. सुरक्षा उद्देश्यों के लिए:


11. शोध और विकास में:


ट्रांसफार्मर के ये उपयोग इसे बिजली प्रणाली का एक महत्वपूर्ण घटक बनाते हैं, जो विभिन्न उद्योगों और घरेलू जरूरतों को पूरा करता है।

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