ट्रांसफार्मर एक विद्युत उपकरण है जिसका उपयोग वोल्टेज को बढ़ाने या घटाने के लिए किया जाता है। यह मुख्य रूप से विद्युत ऊर्जा को एक परिपथ से दूसरे परिपथ में स्थानांतरित करने में सहायता करता है, बिना आवृत्ति को बदले। ट्रांसफार्मर का उपयोग विद्युत वितरण प्रणाली, पावर ग्रिड, और विभिन्न उपकरणों में होता है।

ट्रांसफार्मर के प्रमुख घटक:
- कोर (Core): यह लोहे या फेराइट का बना होता है और चुंबकीय फ्लक्स का रास्ता प्रदान करता है।
- प्राथमिक कुंडली (Primary Winding): यह उस कुंडली को दर्शाता है जिसमें विद्युत ऊर्जा इनपुट होती है।
- द्वितीयक कुंडली (Secondary Winding): यह उस कुंडली को दर्शाता है जिससे विद्युत ऊर्जा आउटपुट होती है।
- इंसुलेशन (Insulation): यह कुंडलियों और कोर के बीच विद्युत अलगाव प्रदान करता है।
ट्रांसफार्मर का कार्य सिद्धांत:
- ट्रांसफार्मर फराडे के विद्युतचुंबकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction) के सिद्धांत पर काम करता है। जब प्राथमिक कुंडली में एक परिवर्ती धारा (AC) प्रवाहित होती है, तो यह एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है, जो कोर के माध्यम से द्वितीयक कुंडली तक पहुंचता है। इस प्रक्रिया से द्वितीयक कुंडली में विद्युत प्रेरण होता है।
मुख्य सिद्धांत के चरण:
1. चुंबकीय फ्लक्स का निर्माण:
- जब प्राथमिक वाइंडिंग (कुंडली) में परिवर्ती धारा प्रवाहित होती है, तो एक परिवर्ती चुंबकीय फ्लक्स उत्पन्न होता है।
- यह फ्लक्स लोहे के कोर (Core) के माध्यम से द्वितीयक वाइंडिंग तक पहुंचता है।
2. चुंबकीय प्रेरण:
- द्वितीयक वाइंडिंग में यह परिवर्ती चुंबकीय फ्लक्स वोल्टेज प्रेरित करता है।
- यह वोल्टेज, चुंबकीय फ्लक्स की दर और वाइंडिंग के घुमावों (Turns) की संख्या पर निर्भर करता है।
3. वोल्टेज का स्थानांतरण:
- प्राथमिक और द्वितीयक वाइंडिंग के घुमावों की संख्या का अनुपात वोल्टेज स्थानांतरण का निर्धारण करता है:
- यदि द्वितीयक वाइंडिंग में अधिक घुमाव हों, तो वोल्टेज बढ़ जाएगा (स्टेप-अप ट्रांसफार्मर)।
- यदि द्वितीयक वाइंडिंग में कम घुमाव हों, तो वोल्टेज घट जाएगा (स्टेप-डाउन ट्रांसफार्मर)।


आवश्यकताएँ:
- परिवर्ती धारा (AC):
- ट्रांसफार्मर केवल AC पर काम करता है क्योंकि परिवर्ती चुंबकीय फ्लक्स आवश्यक है।
- कोर सामग्री:
- आमतौर पर लोहे या फेराइट का उपयोग, जो फ्लक्स को कुशलता से प्रवाहित कर सके।
उदाहरण:
यदि प्राथमिक वाइंडिंग में 100 घुमाव और द्वितीयक वाइंडिंग में 200 घुमाव हैं, तो द्वितीयक वोल्टेज प्राथमिक वोल्टेज से दोगुना होगा।
ट्रांसफार्मर का यह कार्य सिद्धांत इसे बिजली वितरण प्रणाली में अत्यंत प्रभावी और उपयोगी बनाता है।
ट्रांसफार्मर कई प्रकार के होते हैं, जिन्हें उनके उपयोग, कार्यक्षमता और निर्माण के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। निम्नलिखित ट्रांसफार्मर के मुख्य प्रकार हैं:
1. वोल्टेज के आधार पर:
(a) स्टेप-अप ट्रांसफार्मर (Step-Up Transformer):
- इनपुट वोल्टेज को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है।
- बिजली उत्पादन स्टेशनों में उच्च वोल्टेज ट्रांसमिशन के लिए।
(b) स्टेप-डाउन ट्रांसफार्मर (Step-Down Transformer):
- इनपुट वोल्टेज को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है।
- घरेलू और व्यावसायिक उपयोग के लिए।
2. उपयोग के आधार पर:
(a) पावर ट्रांसफार्मर (Power Transformer):
- बड़े बिजली घरों और पावर ग्रिड में उपयोग।
- उच्च क्षमता और वोल्टेज स्तर के लिए डिज़ाइन किया गया।
(b) डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर (Distribution Transformer):
- विद्युत वितरण नेटवर्क में उपयोग।
- कम वोल्टेज वितरण के लिए।
(c) इंस्ट्रूमेंट ट्रांसफार्मर (Instrument Transformer):
- मापन और सुरक्षा उपकरणों के लिए उपयोग।
- इसमें दो प्रकार होते हैं:
- करंट ट्रांसफार्मर (Current Transformer – CT): उच्च धारा को मापने योग्य सीमा में बदलता है।
- वोल्टेज ट्रांसफार्मर (Potential Transformer – PT): उच्च वोल्टेज को मापने योग्य सीमा में बदलता है।
3. संरचना के आधार पर:
(a) ऑयल-इमर्स्ड ट्रांसफार्मर (Oil-Immersed Transformer):
- कूलिंग के लिए ट्रांसफार्मर ऑयल का उपयोग।
(b) ड्राई-टाइप ट्रांसफार्मर (Dry-Type Transformer):
- वायु द्वारा ठंडा किया जाता है, तेल का उपयोग नहीं होता।
4. चरण के आधार पर:
(a) सिंगल-फेज ट्रांसफार्मर (Single-Phase Transformer):
- सिंगल-फेज पावर सप्लाई के लिए उपयोग।
- घरेलू उपकरणों में आम।
(b) थ्री-फेज ट्रांसफार्मर (Three-Phase Transformer):
- तीन-फेज सिस्टम में उपयोग।
- पावर ग्रिड और उद्योगों के लिए उपयुक्त।
5. निर्माण के आधार पर:
(a) कोर-टाइप ट्रांसफार्मर (Core-Type Transformer):
- कोर के चारों ओर कुंडली लपेटी जाती है।
(b) शेल-टाइप ट्रांसफार्मर (Shell-Type Transformer):
- कुंडली के चारों ओर कोर होता है।
6. विशेष उपयोग के आधार पर:
(a) ऑटो-ट्रांसफार्मर (Auto-Transformer):
- प्राथमिक और द्वितीयक वाइंडिंग आंशिक रूप से समान होती हैं।
- वोल्टेज को थोड़ा बढ़ाने या घटाने में उपयोग।
(b) आइसोलेशन ट्रांसफार्मर (Isolation Transformer):
- परिपथ को इलेक्ट्रिकल आइसोलेशन प्रदान करता है।
- सुरक्षा उद्देश्यों के लिए।
(c) फेज-शिफ्टिंग ट्रांसफार्मर (Phase-Shifting Transformer):
- पावर ग्रिड में फेज के बीच कोणीय बदलाव प्रदान करता है।
(d) इम्पल्स ट्रांसफार्मर (Impulse Transformer):
- उच्च वोल्टेज इम्पल्स परीक्षण के लिए।
7. फ्रीक्वेंसी के आधार पर:
(a) हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रांसफार्मर:
- रेडियो और माइक्रोवेव उपकरणों में उपयोग।
(b) लो-फ्रीक्वेंसी ट्रांसफार्मर:
- पावर ग्रिड और घरेलू उपकरणों में उपयोग।
8. विशेष डिजाइन के आधार पर:
(a) फर्नेस ट्रांसफार्मर (Furnace Transformer):
- इलेक्ट्रिक फर्नेस में उपयोग।
(b) रेक्टिफायर ट्रांसफार्मर (Rectifier Transformer):
- डीसी उपकरणों के लिए एसी को डीसी में बदलने में सहायक।
(c) वीआर ट्रांसफार्मर (Variable Ratio Transformer):
- वोल्टेज को नियंत्रित करने के लिए।
उपयोग:
ट्रांसफार्मर का उपयोग विद्युत प्रणाली के विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है। यह बिजली वितरण, पावर ग्रिड और उद्योगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नीचे ट्रांसफार्मर के प्रमुख उपयोग दिए गए हैं:
1. विद्युत वितरण और ट्रांसमिशन में:
- स्टेप-अप ट्रांसफार्मर:
- बिजली उत्पादन स्टेशनों में वोल्टेज को बढ़ाकर लंबी दूरी तक बिजली पहुंचाने के लिए उपयोग।
- ट्रांसमिशन के दौरान ऊर्जा हानि को कम करता है।
- स्टेप-डाउन ट्रांसफार्मर:
- बिजली को उपभोक्ता तक पहुंचाने से पहले वोल्टेज को कम करने के लिए।
- घरेलू और व्यावसायिक उपयोग के लिए सुरक्षित वोल्टेज प्रदान करता है।
2. उद्योगों में:
- हेवी मशीनरी:
- बड़ी मशीनों और औद्योगिक उपकरणों के लिए आवश्यक वोल्टेज स्तर प्रदान करता है।
- इलेक्ट्रिक फर्नेस:
- उच्च तापमान वाली प्रक्रियाओं के लिए वोल्टेज नियंत्रण।
- रेक्टिफायर ट्रांसफार्मर:
- एसी वोल्टेज को डीसी वोल्टेज में बदलने के लिए उपयोग।
3. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में:
- घरेलू उपकरणों जैसे टीवी, कंप्यूटर, और रेफ्रिजरेटर में वोल्टेज को नियंत्रित करने के लिए।
- बैटरी चार्जर और पावर सप्लाई सिस्टम में।
4. मापन और सुरक्षा में:
- इंस्ट्रूमेंट ट्रांसफार्मर:
- उच्च वोल्टेज और करंट को सुरक्षित रूप से मापने के लिए।
- सर्किट ब्रेकर और रिले सिस्टम के साथ उपयोग।
5. पावर ग्रिड में:
- फेज शिफ्टिंग ट्रांसफार्मर का उपयोग ग्रिड के विभिन्न हिस्सों में पावर लोड संतुलन के लिए।
- वोल्टेज स्थिरता बनाए रखने के लिए।
6. रेलवे में:
- इलेक्ट्रिक ट्रेनों के लिए आवश्यक वोल्टेज प्रदान करता है।
- रेलवे सिग्नलिंग और ओवरहेड वायर सिस्टम में उपयोग।
7. चिकित्सा उपकरणों में:
- एक्स-रे मशीन और अन्य चिकित्सा उपकरणों के लिए।
- वोल्टेज आइसोलेशन और स्थिरता प्रदान करता है।
8. नवीकरणीय ऊर्जा में:
- सोलर पैनल और विंड टर्बाइन के लिए।
- बिजली उत्पादन को ग्रिड के उपयुक्त वोल्टेज में परिवर्तित करने के लिए।
9. संचार प्रणाली में:
- टेलीफोन नेटवर्क, रेडियो ट्रांसमीटर, और टेलीविजन प्रसारण में।
- सिग्नल को बढ़ाने और नुकसान को कम करने में सहायक।
10. सुरक्षा उद्देश्यों के लिए:
- आइसोलेशन ट्रांसफार्मर:
- सर्किट को विद्युत रूप से अलग करता है, जिससे विद्युत झटके का खतरा कम होता है।
11. शोध और विकास में:
- इम्पल्स ट्रांसफार्मर का उपयोग उच्च वोल्टेज परीक्षण और शोध प्रयोगों में किया जाता है।
ट्रांसफार्मर के ये उपयोग इसे बिजली प्रणाली का एक महत्वपूर्ण घटक बनाते हैं, जो विभिन्न उद्योगों और घरेलू जरूरतों को पूरा करता है।
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