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नमस्ते दोस्तों! आज हम एक बेहद महत्वपूर्ण सवाल का जवाब देंगे – “ट्रांसफॉर्मर को kVA में क्यों रेट किया जाता है?”
यह सवाल अक्सर इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्रों और टेक्निकल फील्ड में काम करने वाले लोगों को परेशान करता है।
तो चलिए, इसे आसान भाषा में समझते हैं।


पावर 3 प्रकार की होती है:

  1. एपरेंट पावर (Apparent Power) – जिसे हम kVA में मापते हैं।
  2. रियल पावर (Real Power) – जिसे हम kW में मापते हैं।
  3. रिएक्टिव पावर (Reactive Power) – इसे kVAR में मापा जाता है।

ट्रांसफॉर्मर का काम है वोल्टेज और करंट को ट्रांसफॉर्म करना। लेकिन ट्रांसफॉर्मर में रियल पावर और रिएक्टिव पावर दोनों होती हैं, इसलिए इसे एपरेंट पावर (kVA) में रेट किया जाता है।


क्यों kVA?

  1. Copper Losses (I²R):
    कॉपर लॉस केवल करंट पर निर्भर करता है, पावर फैक्टर पर नहीं।
  2. Iron Losses (Hysteresis और Eddy Current):
    आयरन लॉस वोल्टेज पर निर्भर करता है, न कि पावर फैक्टर पर।

इसलिए, ट्रांसफॉर्मर की डिजाइनिंग में इन दोनों ही लॉस को ध्यान में रखा जाता है। और चूंकि ये दोनों लॉस वोल्टेज और करंट पर निर्भर करते हैं, पावर फैक्टर पर नहीं, ट्रांसफॉर्मर को kVA में रेट किया जाता है।


kW में क्यों नहीं?
अगर हम kW में रेटिंग देंगे, तो हमें पावर फैक्टर भी शामिल करना पड़ेगा। लेकिन पावर फैक्टर लोड पर निर्भर करता है, जो कि ट्रांसफॉर्मर के निर्माता के नियंत्रण में नहीं होता।
इसलिए, ट्रांसफॉर्मर को लोड-इंडिपेंडेंट यूनिट kVA में रेट करना सही रहता है।



तो दोस्तों, अब आप समझ गए होंगे कि ट्रांसफॉर्मर को kVA में क्यों रेट किया जाता है। यह पूरी तरह से वोल्टेज और करंट पर आधारित होता है, न कि पावर फैक्टर पर।
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